Karpuri Thakur Jayanti : भारत रत्न, योगदान, उपलब्धियाँ और एक महान नेता

Karpuri Thakur Jayanti

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Karpuri Thakur Jayanti: 24 जनवरी 2024 को बिहार के महान नेता और समाज सुधारक जन्नायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाई जा रही है। इस अवसर पर आइए जानते हैं कि भारत सरकार ने उनके कार्यों को सराहते हुए, उनके लिए क्या घोषणा की है। साथ ही उनकी biography, उनकी उपलब्धियों के बारे में भी जानने की कोशिश करते हैं। उनके जीवन और कार्यों को याद करना उचित है, जिन्होंने बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय लिखा और सामाजिक न्याय की लड़ाई में अविस्मरणीय योगदान दिया।

Karpuri Thakur Jayanti Latest News

कर्पूरी ठाकुर को सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा जाएगा। इसकी घोषणा 23 जनवरी 2024 को हुई। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर को इस सम्मान की प्राप्ति से उनका सम्मान किया गया है और यह बिहार के लोगों और इस सम्मान की कार्यकारिणी में योगदान देने वाले व्यक्तियों के लिए बड़ी खुशी की बात है। खुद प्रधानमंत्री मोदी जी ने उन्हें “सामाजिक न्याय का सिपाही” और “प्रेरणा देने वाला शख्स” बताया।

Karpuri Thakur Jayanti Overview

Karpuri Thakur JayantiBiography Overview
नामकर्पूरी ठाकुर
जन्मदिन24 जनवरी 1924
जन्मस्थानपितौंझिया, बिहार, ब्रिटिश इंडिया
मृत्यु17 फरवरी 1988
दल/संगठनसोशलिस्ट पार्टी, भारतीय क्रांति दल, जनता पार्टी, लोकदल
राजनीतिक पदमुख्यमंत्री बिहार
प्रमाण पत्र/सम्मानभारत रत्न (2024)

Karpuri Thakur Jayanti – Biography

Karpuri Thakur Jayanti : कर्पूरी ठाकुर भारत के स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ और बिहार राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री थे। उनका जन्म 24 जनवरी 1924 को ब्रिटिश इंडिया के बिहार राज्य के पितौंझिया गांव में हुआ था। उनके पिताजी का नाम श्री गोकुल ठाकुर और माता जी का नाम श्रीमती रामदुलारी देवी था। उनके पिता गांव के किसान थे।

Education: कर्पूरी ठाकुर ने अपनी पढ़ाई पातना विश्वविद्यालय से की और 1940 में मैट्रिक की परीक्षा पास की। सन् 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन में भाग लिया और 26 महीने के लिए भागलपुर के कैंप जेल में जेल यातना भुगती। सन् 1948 में उन्हें आचार्य नरेंद्रदेव और जयप्रकाश नारायण के समाजवादी दल में प्रादेशिक मंत्री बनाया गया।

कर्पूरी ठाकुर ने लोकतंत्र संगठन सोशलिस्ट पार्टी (जहीं इन्होंने 1955 में स्थापना की थी) के आदर्शों को अपनाया और दलित, शोषित एवं पिछड़े वर्ग के हितों की रक्षा करने में अपना समय, शक्ति और संपूर्ण जीवन समर्पित किया। उन्होंने बिहार राज्य के विकास और गरीबों की समृद्धि के लिए कई प्रमुख नीति बनाई। उन्हें जननायक कहा जाता है, और उन्होंने पुरस्कार के पात्रता में संक्षेप में प्रदर्शित की है।

कृषक परिवार में पले-बढ़े कर्पूरी ठाकुर बचपन से ही सामाजिक विषमताओं को देखते हुए बड़े हुए। उन्होंने युवावस्था में ही स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भाग लिया और भारत छोड़ो आंदोलन में गिरफ्तारी भी दी।

कर्पूरी ठाकुर को बिहार का मुख्यमंत्री के रूप में दो बार चयनित किया गया है। उन्होंने अपने पदकाल के दौरान दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों की हक की लड़ाई लड़ी और गरीबी के खिलाफ निरंतर विरोध किया। साथ ही, उन्होंने संघर्ष के दौरान कई महत्वपूर्ण नैतिक और राजनीतिक मानवाधिकारिक चुनौतियों का सामना किया।

Karpuri Thakur Jayanti – History

Karpuri Thakur Jayanti के अवसर पर ये भी जानने की कोशिश करते हैं कि उनका राजनीतिक जीवन कैसा रहा, उनका क्या योगदान रहा, मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें कौन चुनौतिया का सामना करना पड़ा आदि।

आजादी के आंदोलन में सक्रिय भागीदारी: कर्पूरी ठाकुर ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया। वे 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए और गिरफ्तार भी हुए। उन्होंने आजीवन समाजवादी विचारों को अपनाया और गरीबों, किसानों और मजदूरों के हक के लिए लड़ते रहे।

राजनीतिक जीवन: 1952 में पहली बार विधायक चुने जाने के बाद, कर्पूरी ठाकुर ने अपना पूरा जीवन राजनीति को समर्पित कर दिया। उन्होंने बिहार की राजनीति में एक अलग ही छाप छोड़ी। वे दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे (1970-71 और 1977-79)।

मुख्यमंत्री के रूप में योगदान: मुख्यमंत्री के रूप में, कर्पूरी ठाकुर ने गरीबों और किसानों के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने बिहार में भूमि सुधार कानून लागू किया, जिससे हजारों भूमिहीन किसानों को जमीन मिली। उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी काफी काम किया। सबसे यादगार उनकी पहल थी शराबबंदी, जिससे बिहार में सामाजिक सुधार का एक नया अध्याय शुरू हुआ।

जननायक की उपाधि: कर्पूरी ठाकुर को जननायक की उपाधि इसलिए मिली क्योंकि वे हमेशा गरीबों और वंचितों के करीब रहे। वे उनके दुख-सुख में शामिल होते थे और उनकी आवाज बनकर लड़ते थे। उन्होंने अपने जीवन में कभी किसी पद या धन का लोभ नहीं किया, बल्कि हमेशा सादगी और ईमानदारी से जीवन व्यतीत किया।

भारतरत्न सम्मान: 26 जनवरी 2024 को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान, भारत रत्न से कर्पूरी ठाकुर को सम्मानित किया जाएगा। यह सम्मान उनके जीवन भर के योगदान का सच्चा सम्मान है।

Karpuri Thakur Jayanti – Achievements (उपलब्धियां):

Karpuri Thakur Jayanti के अवसर पर हमें यह भी जानना चाहिए कि अपने जीवन काल में किन उपलब्धियों को हासिल किया, आइए जानते हैं कुछ उपलब्धियां के बारे में

  • शराबबंदी: कर्पूरी ठाकुर ने 1970 में बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू की, जिससे गरीब परिवारों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ और सामाजिक बुराइयों पर अंकुश लगा।
  • भूमि सुधार: उन्होंने भूमि सुधार कानून पारित कर बड़े जमींदारों से जमीन लेकर गरीब किसानों में बांटने का काम किया।
  • पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण: उन्होंने पिछड़े वर्गों के लिए सरकारी नौकरियों में 26% आरक्षण की व्यवस्था लागू की, जिससे उनके सामाजिक और आर्थिक विकास में गति आई।
  • सामाजिक न्याय के अन्य प्रयास: कर्पूरी ठाकुर ने शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने, ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने और महिलाओं के उत्थान के लिए भी कई महत्वपूर्ण कार्य किए।

कर्पूरी ठाकुर Thoughts

Karpuri Thakur Jayanti के मौके पर उनके द्वारा समाज के प्रति उनकी सोच और उद्धरण की व्याख्या करनी भी जरूरी है, तो आइए जानते हैं संचित रूप से इस विषय में भी

कर्पूरी ठाकुर सोशलिस्ट पार्टी की नीतियों और मिशन के साथ संघर्ष करने वाले शक्तिशाली नेता थे। उनके विचार आज भी अपनी प्रासंगिकता बनाए हुए हैं। उन्होंने गरीबी और दलितों के मुद्दों को मजबूती से उठाया और सामाजिक न्याय और समरसता के लिए जीवन-समर्पण किया। उनके विचारों में समाज में सामंजस्य बढ़ाने, महिला शिक्षा, गरीबी उन्मूलन और दलितों को सशक्त बनाने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे ढाले गए थे।

“जो आधी छतरीये नहीं खाते, उनके लिए हम लड़ेंगे. जो आधी ज़मीन नहीं रखते, उनके लिए हम लड़ेंगे. जो आधा कपड़ा नहीं पहनते, उनके लिए हम लड़ेंगे.”

समता के बिना प्रजातंत्र कभी सफल नहीं हो सकता.

ज्ञान ही सत्ता है; और सत्ता ही स्वराज्य है.

सच्चा नेता सादी कपड़े और जूते में भी मिलता है.

कर्पूरी ठाकुर wikipedia

Karpuri Thakur Jayanti से संबंधित सभी जानकारी विकिपीडिया की आधिकारिक वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। इस लेख में हमने उनके पूरे जीवन काल को सम्मिलित रूप से कवर करने की कोशिश की है, यदि आपको पूर्ण जानकारी चाहिए तो आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

कर्पूरी ठाकुर image

Karpuri Thakur Image
Karpuri Thakur Jayanti

कर्पूरी ठाकुर Family

कर्पूरी ठाकुर के वांछित पुण्यतिथि के मौके पर उनके परिवार प्रार्थना भवन में एकत्रित होता है। उनका परिवार उनके साथ अभिभूत है और उनके योगदान के महत्व को समझते हैं। उनकी पत्नी और बच्चे सभी उनके सामरिक कार्य में समर्पित थे और सभी ने उनकी मान्यता और मानसिकता में जुटे रहने का वादा किया है।

कर्पूरी ठाकुर Death (देहांत) और सम्मान

कर्पूरी ठाकुर का निधन 17 फरवरी 1988 को हुआ लेकिन उनके कार्यों और विचारों को आज भी बिहार के लोग याद करते हैं। उन्हें ‘जननायक’ के नाम से पुकारा जाता है, जो उनके जीवन और कार्यों का सार है।। उनकी मृत्यु ने उनके परिवार, समर्थकों और उनके भक्तों को दुखी किया। उनका निधन एक अपूर्णीय क्षति की वजह थी, लेकिन उनकी यात्रा की यात्रा और उनके योगदान की यात्रा जारी रहती है। आज भी उनकी विचारधारा और मिशन उनके प्रशंसकों में जीवित हैं और उन्हें याद करना और उनकी महिमा के बारे में बात करना महत्वपूर्ण है। उनकी मृत्यु ने एक महान आत्मा को स्वर्गीय आकाश लेकर चले गए, लेकिन उनकी यादें सदैव हमारे डिल्स में जीवित रहेंगी।

2024 में भारत सरकार ने उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया है। यह उनके जीवन और कार्यों का एक सच्चा सम्मान है।

Karpuri Thakur Jayanti – FAQ

  1. कर्पूरी ठाकुर के जीवन का संक्षिप्त परिचय क्या है?

    कर्पूरी ठाकुर भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ और बिहार राज्य के दूसरे उपमुख्यमंत्री थे। उन्होंने गरीबी और दलितों के हक के लिए संघर्ष और न्याय की लड़ाई की।

  2. क्या कर्पूरी ठाकुर को किसी राजनीतिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया है?

    हां, कर्पूरी ठाकुर को 2024 में भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा।

  3. कर्पूरी ठाकुर की प्रमुख उपलब्धियों में कौन-कौन सी हैं?

    कर्पूरी ठाकुर ने अपनी जीवनी के दौरान गरीबी, दलितों के हक की लड़ाई लड़ी और सामाजिक न्याय के लिए अपनी योगदान दिया। उन्हें जननायक कहा जाता है।

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